hindi kahani
''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर
बार-बार सुनने पर नीरसता की अपेक्षा और अधिक सरसता प्राप्त होती है। ये सभी
बिष्णु प्रभाकर एक सुधारवादी लेखक हैं। इन्होंने वर्तमान समय की समाजिक व्यवस्था तथा
कई प्रयोग किये गए हैं। इस समय के कहानीकारों में, मोहन राकेश राजेन्द्र यादव, निर्मल वर्मा, कमलेश्वर, मार्कण्डेय, अमर कान्त मन्नू
ज्ञानरंजन, धर्मेन्द्र गुप्त, इब्राहिम शरीफ, विश्वेश्वर, भीमसेन त्यागी, अमर कान्त, रतीलाल शाहनी, कुष्ण बलदेव वैद, विपिन अग्रवाल
‘वापसी', 'मछलियाँ', 'गीत का चुम्बन, भीष्म साहनी की 'चीफ की दावत', 'खून का रिश्ता', रघुवीर सहाय की
मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर में रुपये-पैसे की कमी नहीं। मुझे कोई फ़िकर भी नहीं। इसी सबब से हर रोज़ मैं निज़ाम शाह
सबसे पहले हम अपने पाठकगण से यह कह देना आवश्यक समझते हैं कि ये महाशय जिनकी चिट्ठी हम आज प्रकाशित करते हैं रत्नधाम नामक नगर के सुयोग्य निवासियों में से थे। इनको वहाँ वाले हंसपाल कहकर पुकारा करते थे। ये बिचारे मध्यम श्रेणी के मनुष्य थे। आय से व्यय अधिक केशवप्रसाद सिंह
अपितु 'कहानी', नई कहानियाँ ' कल्पना', सारिका' संचेतना, कहानियाँ आदि
ताई, ‘रक्षावधन', 'माता का हृदय' कृतज्ञता आदि
शिवप्रसाद सिंह, रघुवीर सहाय, रामकुमार भ्रमर, विजय चौहान, धर्मवीर भारती, भीष्म साहनी, लक्ष्मी नारायण
बुद्धिमानों की कहानियाँ वर्तमान की कहानियाँ का पुरातन स्वरूप थीं, जिन्हें लोग बड़े
द्वितीय नगरीय परिवेश । ग्रामीण वातावरण को केन्द्र में रखकर लिखी गई कहानी आंचलिक
आर्थिक शोषण और राजनीतिक पराधीनता, इनका सारा कथा साहित्य इसी पर केन्द्रीत है। इनकी आरम्भिक